दिव्यांग छात्र की मेहनत-लगन देख Haryana Board को बदलना पड़ा अपना 54 सालों का इतिहास, उठाया ये कदम
दिव्यांग छात्र की मेहनत और लगन देख Haryana Board को बदलना पड़ा अपना 54 सालों का इतिहास, उठाया ये कदम
Haryana News 24: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने दिव्यांग छात्र की मेहनत और लगन देख अपना 54 वर्षों का इतिहास बदल दिया। शहर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय का यह छात्र अब बोर्ड की परीक्षा घर से ही दे सकेगा। यह पहली बार हुआ है जब कोई छात्र बोर्ड परीक्षा घर से देगा। इतना ही नहीं छात्र के लिए घर पर ही पर्यवेक्षक तैनात किया जाएगा। छात्र को लेखन राइटर भी दिया जाएगा।
बोर्ड चेयरमैन का यह फैसला निश्चित रूप से दिव्यांग छात्रों के लिए मील का पत्थर बनेगा। अब तक न जाने कितने ही छात्रों को अपनी स्थिति के चलते पढ़ाई छोड़नी पड़ी है। आयांश और उसके स्वजन इस फैसले से बेहद खुश हैं। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड का गठन 3 नवंबर 1969 को किया गया था और ऐसा फैसला पहली बार लिया गया है।
- 54 सालों में लिया गया बड़ा फैसला
बताया जा रहा है कि विद्यालय प्राचार्य राजेंद्र आजाद दृष्टि बाधित हैं और वह भिवानी स्थित बोर्ड कार्यालय जाकर चेयरमैन से मिले। उन्होंने छात्र आर्यांश की स्थिति से चेयरमैन को अवगत कराया। इसके बाद बोर्ड ने छात्र को घर से परीक्षा देने की अनुमति दी। राजेंद्र ने बताया कि आर्यांश होनहार छात्र है।
- चलने- फिरने में नहीं है समर्थ
बोर्ड के चेयरमैन डॉ. वीपी यादव ने जानकारी दी कि बच्चा मस्कुलर डिस्ट्राफी बीमारी की वजह से चलने फिरने में असमर्थ है। इस कारण बोर्ड ने घर पर ही परीक्षा केंद्र के समान सभी व्यवस्थाएं की है। छात्र को लेखक भी उपलब्ध करवाया जाएगा। बोर्ड कर्मचारी ही घर पर प्रश्नपत्र लेकर जाएगा व उत्तरपुस्तिका भी वही लेकर आएगा। आब्जर्वर की नियुक्ति भी की गई है जो परीक्षा की निगरानी करेगा।
- क्या है यह बीमारी?
मस्कुलर डिस्ट्राफी एक आनुवांशिक बीमारी है। यह मांसपेशियो को कमजोर बना देती है। मांसपेशियों की बीमारी से जुड़े अन्य लक्षणों का कारण बनती है। यह बीमारी चलने- फिरने और दैनिक गतिविधियों को करने की क्षमता को प्रभावित कर बहुत कम कर देती है। यह उन मांसपेशियों को भी प्रभावित कर सकती है जो आपके हृदय और फेफड़ों के काम करने में सहायक है।