हरियाणा का अनोखा अंग्रेजी सरकारी स्कूल, पूरी तरह डिजिटल, हर बार आता है प्रथम!
विनय, हरियाणा न्यूज 24
आज जिस प्रकार से निजी स्कूलों की तरफ अभिभावकों का झुकाव बढ़ा है ऐसे में सरकारी विधालयों का महत्व दिन-प्रतिदिन घटता जा रहा है। आमतौर पर सरकारी स्कूल का नाम सुनते ही हमें वह पुराने बिल्डिंग और सादे से कपड़े वाले यूनिफॉर्म याद आ जाता है। हालांकि अब यह स्थिति बदलती हुई नजर आ रही हैं। अपको बता दें कि हरियाणा में एक सरकारी स्कूल ऐसा है जो निजी स्कूलों को भी मात दे सकता है। महेंद्रगढ जिले के गांव मंढाणा में स्थित यह सरकारी स्कूल तमाम तरह की सुविधाओं से युक्त है। इस स्कूल का नाम है आरोही मॉडल सीनीयर सेकेंडरी स्कूल। हर साल 90 प्रतिशत से अधिक रिजल्ट हर कक्षा का होता हैं।
इस स्कूल को देख कर आप भी कह सकते हैं कि यह बच्चों के लिए बिल्कुल परफेक्ट जगह है। यहां बच्चों की यूनिफॉर्म से लेकर स्कूल के गार्डन तक सब कुछ एक प्राइवेट स्कूल से बेहतर हैं। इस स्कूल ने ना केवल ढांचे को बल्कि शिक्षा को भी कई गुणा मजबूत किया है किताबी ज्ञान के अलावा बच्चों को यहां प्रैक्टिल नॉलेज भी दिया जाता है, जिससे उनकी लर्निग स्किल बेहतर हो पाए। स्कूल में सुरक्षात्मक दृष्टि से सीसीटीवी केमरे भी लगाए गए हैं।
इस सरकारी स्कूल में डिजिटल बोर्ड और के जरिए पढ़ाया जाता है। इसके अलावा स्कूल में साफ-सफाई का भी काफी ध्यान रखा जाता है ताकि बच्चे स्वच्छता का महत्त्व समझ सकें। इसके लिए स्कूल में सभी जगहों पर डस्टबीन लगाए गए हैं। साथ ही स्कूल की दीवारों को खूबसूरत पेंटिंग्स से सजाया गया है। स्कूल में सुरक्षात्मक दृष्टि से सीसीटीवी केमरे लगाए गए हैं। बाहर से आए व्यक्ति को परेशानी ना हो इसके लिए स्कूल में हर जगह साइन बोर्ड लगे हैं।
स्कूल में साइंस लैब से लेकर कंप्यूटर लैब व आधुनिक लाइब्रेरी तक सभी सुविधाएं मौजूद हैं। स्कूल के कार्यकारी प्रिंसिपल लीलूराम यादव जी बताते हैं कि यह सरकारी स्कूल 2011 में बिलकुल साधारण था, लेकिन स्टॉफ की मेहनत और विभाग व पंचायत की मदद से स्कूल को एक उत्तम श्रेणी में लाने में मदद मिली हैं। आज यह सरकारी स्कूल किसी भी लेहाज से प्राइवेट स्कूल से पीछे नहीं हैं।
हरियाणा का एक ऐसा गांव जहां बच्चों को प्राइवेट की जगह पसंद है सरकारी स्कूल, बोलते हैं फर्राटेदार अंग्रेजी गांव के बच्चे हिंदी में नहीं
बल्कि फर्राटेदार अंग्रेजी में बात करते हैं और इसी से स्कूल के शिक्षा स्तर का पता चलता है। अपनी दूरगामी सोच के जरिए गांव के लोगों ने सुशिक्षित समाज का निर्माण करने और स्कूल की दशा और दिशा बदलने का काम किया है। अपने बच्चों का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए ग्रामीणों ने शिक्षा को जुनून के तौर पर लिया।