10वीं पास ने किया अनोखा आविष्कार, बड़ी कंपनियां हैरान, करोड़ों में कमाई!
विनय, हरियाणा न्यूज 24
इस दुनिया में बहुत सारे लोग हैं जो सफल होना तो चाहते हैं लेकिन सफल होने के लिए मेहनत नहीं करना चाहते। दूसरे शब्दों में अगर कहूं तो, कुछ लोग सफलता हासिल तो करना चाहते हैं लेकिन सोचते हैं की सब कुछ बैठे-बैठे ही हो जाए, बिना कुछ किये ही। बस चुटकी बजायी और हो गए कामयाब। सफलता कोई जादुई चाबी नहीं है, जो हमारे सामने किसी चांदी की थाल पर रखकर परोस दी जाएगी। सफलता का कोई सॉर्टकट नहीं होता। उसके लिए समय देना पड़ता है और पसीना बहाना पड़ता है। हमारी हर तरह की कोशिशों का जोड़ ही हमारी सफलता है। हर दिन की कोशिशों के साथ ही हम खुद को बदलते हुए देख पाते हैं। उद्यमी रॉबर्ट कोलियर कहते हैं, ‘सफलता उन छोटे-छोटे प्रयासों का जोड़ है, जो हम हर रोज कर रहे होते हैं।
आज हम बता रहे हैं आपको ऐसे ही एक मेहनती और कामयाब सक्स की प्रेरक कहानी। इनका नाम है सुभाष ओला जो काफी मेहनती हैं और जूनून से भरे हुए हैं। सुभाष जी राजस्थान के अलवर जिले के गांव बहरोड़ के निवासी है। इनके घर की बात करें तो ये एक बेहद गरीब घर से हैं लेकिन इन्होंने अपनी लगन और मेहनत से अपनी किस्मत को पलट दिया है। ये आज के दिन एक करोड़ो की कंपनी के मालिक हैं जो इन्होंने अपने दम पर खड़ी की है क्योंकि इनके पिता कोई बड़े डॉक्टर या इंजीनियर नहीं थे, वह एक गरीब किसान थे। लोगो ने इनको पीछे धकेलने की काफी कोशिशें की हैं लेकिन ये कभी अपने लक्ष्य से नहीं हटे और अपने काम में लगे रहे। अकसर माता-पिता बच्चों को कहते रहते हैं कि पढ़ाई करो लेकिन आपको बता दें कि सुभाष जी इतने ज्यादा कुछ पढ़े भी नहीं हैं ये सिर्फ दंसवी पास हैं लेकिन पूरे विश्व में धमाका मचा दिया है सुभाष ओला जी ने।
किया अनोखा आविष्कार
इनके आविष्कार की बात की जाए तो इन्होंने ईंधन प्रणाली के बचाने के लिए बॉइलर बनाया है। सुभाष जी ने अपने आविष्कार के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह रीसाइक्लिंग स्ट्रीम बॉयलर है, पहले जो बॉयलर बनते थे उनमें पानी बार-बार ड़ालना पड़ता था जिस कारण उसमें बहुत ज्यादा ईंधन लगता था और उससे लोगों को भारी नुक्सान होता था और कंपनियों में एक दिन में लाखों का कोयला व तेल खर्च हो जाता था। उन्होंने कहा कि इस बॉयलर में 98 प्रतिशत पानी ककी बचत होती है। जहां साधारण बॉयलर के में एक टन पानी के लिए एक घंटे में आठ सौ लीटर पानी की आवश्यकता होती है वहीं इस बॉयलर में पूरे साल में भी इतने पानी की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे ही सुभाष जी ने काफी उपयोगी आविष्कार किए हैं।