गब्बर को CM नायब सैनी से पंगा पड़ा महंगा, दिखाया बाहर का रास्ता?

गब्बर को CM नायब सैनी से पंगा पड़ा महंगा, दिखाया बाहर का रास्ता?
रिपोर्टर हिमांशु लांबा
Haryana News 24: हरियाणा में गब्बर के नाम से मशहूर उर्जा एवं परिवहन मंत्री अनिल विज (Anil Vij) अपने बगावती तेवरों के चलते पार्टी हाईकमान के निशाने पर आ गए हैं।
- मुख्यमंत्री नायब सैनी और प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली के खिलाफ तीखी बयानबाजी करने वाले अनिल विज अब फंस गए हैं
- BJP ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए 3 दिन के भीतर जवाब मांगा है
प्रदेश में नायब सैनी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर तमाम मंत्रीगण और नेता सरकार की उपलब्धियां गिनाने में लगे थे। लेकिन अनिल विज ने सरकार के 100 दिन पूरे होते ही CM नायब सैनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। अनिल विज ने कहा कि CM नायब सैनी तो जब से मुख्यमंत्री बने हैं तब से उड़नखटोले (हेलीकॉप्टर) से नीचे ही नहीं उतर रहे वो जनता का दुख दर्द क्या समझेंगे?
खट्टर, सैनी और बडोली तीनों से पंगा विज को पड़ा महंगा:
अनिल विज ने भाजपा के तीन सबसे ताकतवर नेताओं से अकेले पंगा ले लिया। केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल के CM रहते अनिल विज की उनसे कई मौकों पर अनबन रही। नायब सैनी को पहली बार CM बनाया गया तब भी अनिल विज नाराज हो गए, मंत्री पद तक नहीं लिया और मीटिंग छोड़कर अंबाला आ गए थे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली पर रेप का मुकदमा दर्ज हुआ तो अनिल विज ने उनको इस्तीफा देने की बात कह दी। बड़ौली रेप केस को लेकर भाजपा के तमाम नेता या तो चुप रहे या बड़ौली का बचाव किया लेकिन अकेले अनिल विज ऐसे नेता थे, जिन्होंने प्रदेश कैबिनेट का हिस्सा होते हुए मोहन लाल बड़ौली को इस्तीफे की नसीहत दे डाली। इसके बाद से अनिल विज बड़ौली की नजरों में भी खटकने लगे।
प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने मंत्री अनिल विज को नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा है। इस नोटिस में लिखा गया है कि आपने पार्टी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पद के खिलाफ सार्वजनिक रूप से बयान दिया है। यह बेहद गंभीर है। यह कदम न केवल पार्टी की विचारधारा के खिलाफ है, बल्कि यह उस समय हुआ, जब पार्टी पड़ोसी राज्य दिल्ली में चुनावी अभियान चला रही थी।
कारण बताओ नोटिस से विज का मंत्री पद छीनने की तैयारी?
चुनावी समय में इस तरह की बयानबाजी से पार्टी की छवि को नुकसान होगा, यह जानते हुए भी आपने यह बयान दिए, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है। नोटिस में इसे घोर अनुशासनहीनता माना गया है और अनिल विज को 3 दिन के अंदर लिखित जवाब देने की बात कही गई है। अनिल विज के मंत्री पद पर भी अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं। हालांकि इस मुखरता के दौरान खुद अनिल विज इस बात का अंदेशा जता चुके हैं कि उनसे मंत्री पद छीना जा सकता है।