हरियाणा में अब छोटे मामलों में नहीं होगी जेल, सामाजिक दंड होगे लागू, 42 कानूनों में किया बदलाव!
HaryanaNews24- हरियाणा सरकार ने एक बड़ा कदम उठाते हुए ‘हरियाणा जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन) अध्यादेश, 2025’ को मंजूरी दी है, जिसके तहत 17 विभागों के 42 कानूनों के 164 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। इसके तहत मामूली तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूकों के लिए आपराधिक दंडों के स्थान पर दीवानी दंड और प्रशासनिक कार्रवाई का प्रावधान है।

इसका मकसद कारोबार को सुगम बनाना है। हरियाणा मंत्रिमंडल में पास होने के बाद राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने शनिवार को इसको मंजूरी दे दी है। इसके तहत अधिनियमों में विभिन्न प्रावधानों के तहत प्रदान किए गए दंडों में इस अध्यादेश के प्रारंभ होने की तारीख से प्रत्येक तीन वर्ष की समाप्ति के बाद उनमें प्रदान किए गए दंड की न्यूनतम राशि में दस प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी।
इसके साथ ही सुनवाई के प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किए बिना किसी भी प्रावधान के उल्लंघन में सक्षम प्राधिकारी की ओर से कोई जुर्माना नहीं लगाया जाएगा। राज्य सरकार ने 14 अधिनियमों के अंतर्गत 1,113 अनुपालन समाप्त किए हैं और 37 छोटे प्रावधानों को अपराध मुक्त किया गया है। इससे उद्योग जगत को राहत मिलेगी और कारोबारी वातावरण और अधिक पारदर्शी बन सकेगा।
ये बदलाव हुए:
- सार्वजनिक जगह में पशु बांधने पर अब 500 रुपये जुर्माना लगेगा।
- लाइसेंसधारी प्लंबर के तय शुल्क से अधिक मांग पर 500 रुपये का जुर्माना लगेगा।
- सार्वजनिक जगह पर धोबी के कपड़े धोने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा
- हरियाणा जिला बोर्ड अधिनियम के तहत अब पांच हजार रुपये का जुर्माना है।
- शहरी स्थानीय निकाय में सुअर रखने पर पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रस्ताव है
- झूठा बयान देने पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है।
मुख्य बिंदु:
- अपराधमुक्त: अब छोटी-मोटी तकनीकी या प्रक्रियागत गलतियों को अपराध नहीं माना जाएगा।
- जेल की जगह जुर्माना/चेतावनी: इन मामलों में अब जेल की सजा नहीं होगी। इसके बजाय, उल्लंघन करने वालों पर प्रशासनिक जुर्माना लगाया जाएगा (जो ₹500 से लेकर ₹1 लाख तक हो सकता है) या उन्हें चेतावनी देकर सुधार का मौका दिया जाएगा।
- सामाजिक दंड: सरकार ने छोटे अपराधों में पहली बार गलती करने वालों के लिए जेल की सजा के स्थान पर सामुदायिक सेवा दिशानिर्देश, 2025 भी पेश किए हैं, जिसके तहत उन्हें सामाजिक रूप से उपयोगी कार्य करने होंगे।
- उद्देश्य: इस पहल का उद्देश्य आम जनता और छोटे कारोबारियों को कानूनी झंझटों से राहत देना, अदालतों और पुलिस का बोझ कम करना और राज्य में व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देना है।
- उदाहरण: कुछ उदाहरणों में लाइसेंस का समय पर नवीनीकरण न कराना या रजिस्ट्रेशन में देरी होना शामिल है, जिन पर अब सीधे केस या जुर्माना नहीं होगा, बल्कि पहले चेतावनी दी जाएगी।
