दुर्घटना के शिकार सैनिक के आश्रितों को अनुकंपा रोजगार का अधिकार: हाईकोर्ट

दुर्घटना के शिकार सैनिक के आश्रितों को अनुकंपा रोजगार का अधिकार: हाईकोर्ट
हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि लाभकारी प्रावधान की व्याख्या अर्थपूर्ण और उदारतापूर्वक से की जानी चाहिए, ताकि उसका उद्देश्य पूरा हो न कि लाभार्थी को वंचित करने के लिए। उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्र में जहां जान को हमेशा खतरा बना रहता है वहां पर तैनात सैनिक द्वारा जिन कठोर वास्तविकताओं का सामना करना पड़ता है उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि सैनिक यदि दुर्घटना के कारण अपनी ही बंदूक की गोली का शिकार हो जाता है और उसे युद्घ हताहत करार दिया जाता है तो उसके आश्रित एक्स ग्रेशिया राशि व अनुकंपा आधार पर नौकरी के हकदार होंगे। हाईकोर्ट ने दो माह के भीतर हरियाणा सरकार को यह दोनों लाभ जारी करने का आदेश दिया है।
याचिका दाखिल करते हुए जींद निवासी पुष्पलता ने हाईकोर्ट को बताया कि उसके पति को 2001 में सेना में नियुक्ति मिली थी। 2006 में जम्मू-कश्मीर की सितनी फायरिंग रेंज नगोत्रा में संतरी की ड्यूटी कर रहे थे। अचानक हादसा हुआ और अपनी बंदूक से चली गोली के कारण उनकी मौत हो गई। इस मौत को युद्घ हताहत करार दिया गया और इसी के आधार पर आम्र्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल ने 2017 में याची को उदारीकृत परिवारिक पेंशन के लिए पात्र माना। इसके बाद याची ने एक्स ग्रेशिया राशि व अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए हरियाणा सरकार को आवेदन दिया। इस दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि यह लाभ केवल एक्टिव ऑपरेशन के दौरान मारे गए जवानों के लिए दिया जाता है। याची का पति हादसे के कारण चली गोली से मारा गया है ऐसे में उनका दावा नहीं टिकता।
