हरियाणा के अस्थायी कर्मचारियों को किया जा सकता है रेगुलर:

हरियाणा के अस्थायी कर्मचारियों को किया जा सकता है रेगुलर:
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी प्रदेश के नागरिकों के लिए कई घोषणाएं करते रहते हैं, ताकि उन्हें लाभ दिया जा सके। इसी कड़ी में वह प्रदेश के अस्थायी कर्मचारियों को नियमितीकरण का तोहफा दे सकते हैं। फिलहाल नियमितीकरण नीति बनाने का काम अंतिम चरण में है। हालांकि, इस पर काम काफी पहले ही शुरू हो गया था, लेकिन कई तरह के ड्राफ्ट तैयार किए गए थे। अब इनमें से एक-दो ड्राफ्ट को अंतिम रूप देने का काम चल रहा है।
मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने मंगलवार को इस विषय पर कुछ चुनिंदा अधिकारियों के साथ लंबी चर्चा की। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी नियमितीकरण नीति बनाने पर विचार करने को कहा है। मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव राजेश खुल्लर इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि नियमितीकरण नीति का लाभ अधिक से अधिक अस्थायी कर्मचारियों को मिले। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी. उमाशंकर भी इस नीति को लागू करने में जुटे हैं।
वैसे तो नियमितीकरण नीति के 2-3 ड्राफ्ट हैं, लेकिन ऐसा ड्राफ्ट फाइनल करने की तैयारी है, जिससे कोर्ट में भी टिक सके। ऐसे में ड्राफ्ट है कि जो अस्थाई कर्मचारी सरकारी विभागों, बोर्ड, निगमों और सरकारी संगठनों में ठेके पर लगे हुए हैं। उन्हें हरियाणा कौशल रोजगार निगम में पोर्ट किया गया है, उन्हें नियमित किया जाए। इसके लिए 10 साल, 7 साल, 5 साल की सेवा में से अंतिम निर्णय लिया जाना है कि कितने साल की सेवा वाले अस्थाई कर्मचारियों को नियमित किया जाए।
अभी कुछ कर्मचारी ऐसे हैं, जो हरियाणा कौशल रोजगार निगम में पोर्ट नहीं हुए हैं और विभागों, बोर्डों, निगमों में ही कार्य रहें है। जब पॉलिसी फाइनल होगी, तो उससे पहले ऐसे कर्मचारियों के बारे भी फैसला होगा। जिन पदों पर ये कर्मचारी रेगुलर होंगे, उनका डिमिनिशिंग कैडर होगा। अभी तक के प्रस्ताव के अनुसार, रेगुलर होने वाले कर्मचारियों को नई- पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिलेगा, लेकिन वे 58 साल तक सेवा में बने रहेंगे। इसके अलावा, एक अन्य प्रस्ताव भी है पर अब उस पर फोकस नहीं है।