हरियाणा की कमलेश 62 की उम्र में साइक्लिंग से हुई निरोग, युवाओं सा जोश, मेडलों से भरी झोली !
हरियाणा की कमलेश 62 की उम्र में साइक्लिंग से हुई निरोग, युवाओं सा जोश, मेडलों से भरी झोली !
सोनिका सिंधु, हरियाणा न्यूज 24
हरियाणा की कमलेश राणा ने साइकिल को बनाया साथी तो उन्हेें बीपी और शुगर से छुटकारा मिल गया। वह हरियाणा से यूपी तक साइकिल पर सवार होकर जाती हैं। वह 30 से अधिक मेडल व ट्राफी जीत चुकी हैं।
जो महिलाएं शुगर-बीपी की दवाएं लेकर भी ठीक नहीं हो पाती। उनके लिए रोहतक की कमलेश राणा मिसाल बनी हुई हैंं। कमलेश ने बिना दवा लिए ही न केवल शुगर को कंट्रोल किया, बल्कि उनको बीपी कोलेस्ट्रोल जैसी भी अब कोई समस्या नहीं है। यह सब हुआ सिर्फ साइक्लिंग से। कमलेश का दावा है कि केवल साइकिल चलाने से ही उनको इन तमाम बीमारियों से छुटकारा मिल गया है। जिसके बाद वे दूसरों को भी साइकिल चलाकर बीमारी भगाने और पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाए हुए हैं। 62 की उम्र में भी कमलेश में युवाओं सा जोश देखा जा सकता है। वे तमाम बुजुर्गाें व युवाओं के लिए मिसाल पेश कर रही है।
दरअसल, तीन साल पहले उनके पति ओमबीर सिंह राणा का बीमारी के कारण निधन हो गया था। इसके बाद डिप्रेशन के चलते उनका शुगर 440 जबकि कोलेस्ट्रोल 250 तक पहुंच गया था। ये देख बेटी पुष्पा ने उनको साथ में साइकिल चलाने को कहा और दाेनों साथ-साथ साइकिल चलाने लगी। कमलेश को यह अच्छा लगा तो वह रोजाना साइकिल चलाने लगी और कुछ समय बाद उनको साइकिल चलाने का जुनून हो गया। उनका दावा है कि छह माह में शुगर, कोलेस्टोल व बीपी ठीक हो गया। उसके बाद अब तक डाक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ी है।
कमलेश राणा ने बताया कि 26 सितम्बर को श्रीनगर से यात्रा की शुरुआत की थी। कुछ दिन यात्रा घरेलू काम की वजह से रोकना पड़ी फिर इसकी शुरुआत की। 22 दिन में सेंधवा पहुंचे हैं। कमलेश राणा ने बताया कि 2018 में उन्हें शुगर, कोलेस्ट्रॉल और हार्ट की समस्या हो गई थी। पहले वे महिलाओं को योग करवाती थी। इस बीच पति की मौत हो गई। पति की मौत के बाद परेशानियों के चलते घर रहने लगी। बीमारी ने जकड़ लिया। योग करने आने वाली महिलाओं ने बताया कि उनकी शुगर दवाई से भी ठीक नहीं हुई है। महिलाओं से सुन कर साइकिलिंग शुरू कर दी। साइकलिंग से मैं पूरी तरह फिट हो गई। साइकलिंग का ग्रुप ज्वाइन करने के बाद 2020 में एक महीने में 3600 किमी साइकिल चलाकर ऑल एज ग्रुप में सेकेंड आई थी। इसके बाद सभी स्पर्धाओं में भाग लिया। कमलेश राणा ने बताया कि कई बीमारियां ऐसी है जो सिर्फ योग व्यायाम से ठीक होती है। साइकिलिंग से मैं पूरी तरह स्वस्थ हो गई।
आमजन तक संदेश पहुंचाने के लिए यात्रा शुरू की है। मेरी एज ग्रुप की महिलाएं घर में बैठी रहती हैं। सोचती हम क्या कर सकते हैं। मैं दिखाना चाहती हूं, हम हर एज में सबकुछ कर सकते है। महिला के साथ चल रहे जिला शामली उप्र के विकास कुमार ने बताया कि 26 सितंबर को जब हमने साइकलिंग शुरू की तो हम करीब 25 से 30 किमी आगे थे। पीछे से 63 वर्षीय महिला कमलेश राणा ने हमे पीछे से आकर ज्वाइन कर लिया। इस उम्र में उनका जज्बा देख हम दंग रह गए। उनका हमारा साइकलिंग का एक ही उद्देश्य था। पर्यावरण को स्वच्छ रखना और स्वास्थ्य का ध्यान रखना। हमारी कुल 5 हजार किमी की यात्रा है। रास्ते में कई अच्छे लोग मिले हैं। अब तक 2 हजार से ज्यादा हम साइकलिंग कर चुके हैं।
रोहतक की बुजुर्ग 63 साल में ‘युवा’:2 बार एक्सीडेंट, हड्डी में फ्रैक्चर, जम्मू से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा पर निकली
इंसान में अगर जज्बा और हौसला हो तो वह कुछ भी कर सकता है, चाहे वह उम्र के किसी भी पड़ाव पर क्यों न हो। ऐसी ही कुछ हौसला है हरियाणा के रोहतक की 63 वर्षीय कमलेश का। सेक्टर 4 निवासी कमलेश किसी युवा से कम नहीं हैं। कमलेश राणा सितंबर माह में जम्मू कश्मीर गई थी। वहां पर 3 दिन तक साइकिलिंग कार्यक्रम अटेंड किया। जिसके बाद उनके मन में दबी इच्छा को बल मिला। क्योंकि उन्हें जम्मू कश्मीर से वापस आना था। इसलिए उन्होंने जम्मू कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा करने के सफर की शुरुआत की।
दो बार बीच रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो चुका है, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। फिलहाल एक्सीडेंट में लगी चोटों के कारण वह बेंगलुरू में उपचाराधीन हैं और उनका कहना है कि ठीक होते ही आगे का सफर तय करने के लिए निकल पड़ेंगी। कोई भी बाधा उनके इस लक्ष्य को नहीं रोक पाएगी।कमलेश राणा जम्मू कश्मीर से साइकिल पर रोहतक पहुंची। यहां से आगे सफर करते हुए वे कर्नाटक पहुंच चुकी हैं। इस दौरान वे बीच में जहां भी गई, वहां लोगों को नशे और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक कर रही हैं। अनेक लोगों से मुलाकात की और जागरूकता का सफर जारी रखा।
कमलेश राणा ने बताया कि वे पहले भी साइकिल यात्रा कर चुकी हैं। वर्ष 2020 में नशा मुक्त हरियाणा की थीम पर पूरे उन्होंने हरियाणा की साइकिल यात्रा की थी। जिसके लिए लगातार 15 दिनों तक साइकिल चलाकर पूरे हरियाणा का भ्रमण किया। वहीं मुख्यमंत्री द्वारा भी उन्हें ड्रग्स फ्री हरियाणा के लिए सम्मानित किया जा चुका है।साइकिलिंग शुरू करने के बाद उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और मेडल भी जीते। कमलेश राणा ने पिछले साल पूना में आयोजित साइकिलिंग में 3 मेडल जीत थे। वहीं 2020 में हुई प्रतियोगिता के दौरान एक माह तक कुल 3607 किलोमीटर साइकिल चलाई और देशभर में दूसरे स्थान पर रहीं।
पुष्पा राणा ने बताया कि वह अपनी मां व सचिन नांदल तीनों मिलकर लगातार नशे के प्रति जागरूकता अभियान चला रहे हैं। वे स्कूलों में जाकर बच्चों को अवेयर करते हैं। इसके लिए वे अब तक स्कूलों में जाकर कुल 75 कार्यक्रम कर चुके हैं। कमलेश का दावा है कि केवल साइकिल चलाने से ही उनको इन तमाम बीमारियों से छुटकारा मिल गया है। जिसके बाद वे दूसरों को भी साइकिल चलाकर बीमारी भगाने और पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाए हुए हैं। 62 की उम्र में भी कमलेश में युवाओं सा जोश देखा जा सकता है। वे तमाम बुजुर्गाें व युवाओं के लिए मिसाल पेश कर रही है।उनका उद्देश्य यही है कि आने वाली पीढ़ी को नशे से बचाया जा सके।