वल्र्ड रिकॉर्ड बनाने वाला स्टील मैन, बनेगा चौकीदार! 1500 हथौडे खाने, ट्रक खींचने के अनोखे कारनामे!
वल्र्ड रिकॉर्ड बनाने वाला स्टील मैन, बनेगा चौकीदार! 1500 हथौडे खाने, ट्रक खींचने के अनोखे कारनामे!
सोनिका सिंधु, हरियाणा न्यूज 24
दरअसल हम बात कर रहें हैं भिवानी जिला के बिजेंद्र पहलवान की, जो अब तक 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके हैं,हरियाणा में ही नहीं बल्कि पूरे भारत में उन्हें लौह पुरूष के नाम से जाना जाता है ‘मर्द को कभी दर्द नहीं होता’ यह फिल्म का डायलाग भले हो, भिवानी के पहलवान बिजेंद्र ने इसे साबित भी किया है।
स्टील मैन के रूप में बिजेंद्र पहलवान की है पहचान;
पहलवान बिजेंद्र की पहचान स्टील मैन के रूप में बन चुकी है। 26 जुलाई 2021 को शहर के गणमान्य नागरिकों की देखरेख में गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाया है। उनका इस बुक में नाम अपने शरीर पर 1550 हथौड़े खाने पर दर्ज हुआ है। यह इनका विश्व रिकार्ड है। नशा मुक्त समाज की स्थापना के लिए हरियाणा के अलावा दूसरे प्रदेशों में भी ये साइकिल और मोटरसाइकिल यात्रा निकाल चुके हैं। हजारों लोगों को नशे से दूर रहने की शपथ दिला चुके हैं। वह बताते हैं कि पुलिस या सेना में सेवा करने की उनकी चाहत थी लेकिन इसके लिए अवसर नहीं मिला।
बिजेंद्र सिंह बताते हैं कि फिलहाल वह 45 से 50 किलो के व्यक्ति को दांतों में पकड़ कर करीब 200 मीटर दौड़ लेते हैं। इसे बढ़ा कर वह एक किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक लेकर दौडऩा चाहते हैं। इसके लिए अभ्यास किया जा रहा है। इतना ही नहीं उनका लक्ष्य है कि ट्रक, टाटा 407 और कैंटर आदि खींचने के साथ ट्रेन को भी खींचें।
पहलवान बिजेंद्र सिंह ने पिछले काफी लंबे समय से एक अच्छा अभियान चलाया हुआ है, जिस अभियान का परिणाम उन्हें आज मिला हैं। उन्होंने कहा कि पहलवान बिजेंद्र सिंह ने बेहतरीन शक्ति प्रदर्शन का परिचय देते हुए जता दिया है कि नशे से दूर रहकर व्यक्ति कितना भी ताकतवर व साहसी बन सकता हैं। वहीं इस मौके पर पहलवान बिजेंद्र सिंह ने कहा कि उनके अभियान का एकमात्र उद्देश्य युवाओं को नशे से दूर रखना हैं। उन्होंने कहा कि वे पहले शक्ति प्रदर्शनों के माध्यम से युवाओं को नशे के खिलाफ जागरूक करते आ रहे है। उनकी इसी मेहनत को देखते हुए उनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया हैं।
आज बिजेंद्र पहलवान का इतना नाम है, उनके नाम से पुस्तके छापी गई हैं। और तो और हरियाणा करंट अफेयर्स में भी उनके नाम के प्रश्र पुछे जाते हैं। हर समारोह में उन्हें समानित किया गया है परन्तु सरकार का उन्हें कोई सहयोग नहीं है। फिलहाल बिजेंद्र के पास न तो सरकारी नौकरी है और न ही अपना घर चलाने के लिए कोई और विकल्प है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ वही पैसा लगाती है जहाँ उन्हें कोई फायदा हो हम जैसे पहलवानों पर पैसा लगाने या उन्हें नौकरी देने से उनका कोई फायदा नहीं है इसलिए वे हमें समानित करके संतुष्ट करना चाहते हैं लेकिन उनके इन पुरस्कारों से हमारा घर नहीं चलने वाला।
अब काफी समय से बिजेंद्र समाज सेवा में लगे हुए हैं। आपको बता दें कि बिजेंद्र ने अपने साथियों के साथ मिलकर अगस्त 2021 को नशा मुक्ति अभियान यात्रा शुरू की थी जो चरखी दादरी से लेकर पंजाब तक 1 महीने की यात्रा थी। जिसका मुख्य उद्देश्य आज के युवाओं को नशे से दूरी बनाए रखनेे और उन्हें प्रेरित करने का था। उनका कहना है कि ये मेरे वर्ल्ड रिकॉर्ड केवल युवाओं को प्रेरित करने के लिए हैं मैं चाहता हूं कि युवा खेलों की तरफ आकर्षित हों और नशे को जड़ से खत्म करना चाहता हूं ताकि हर युवा हर लड़का और हर लड़की नशे से बचकर अपनी काबिलियत को पहचान सके।
बिजेंद्र ने बताया कि इन सबसे पहले वो पुलिस व फौज की भरती के लिए प्रयास कर चुके हैं। उस समय कोई उनके साथ नहीं था और आज भी कोई साथ नहीं है। अब उनका मकसद केवल युवाओं को प्रेरित करना है और नशे को जड़ से खत्म करना है। अपने शक्ति प्रदर्शनों से वह समाज को संदेश देना चाहते हैंं कि नशे से दूर रह कर और नियमित अभ्यास और खानपान का ध्यान रख कर हम अथाह ताकत प्राप्त कर सकते हैं। बिजेंद्र बताते हैं कि उन्होंने अखिल भारतीय युवा जन कल्याण संगठन बनाया है जो नेहरू युवा केंद्र से संबंद्ध है। इसके बैनर तले वह नशा मुक्त समाज की मुहिम आगे बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं।