हरियाणा की बेटी की फैन हुई भारत की महामहिम राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू, राष्ट्रपति भवन से आया बुलावा।
                हरियाणा के सुलेखा कटारिया ने अपनी सफलता की तालियां राष्ट्रपति भवन तक पहुंचकर बटोरीं। सुलेखा कटारिया का जन्म हरियाणा के भिवानी जिले के एक छोटे-से गांव, ढाबढाणी में हुआ. सुलेखा का बचपन विपरीत परिस्थितियों में गुज़रा, लेकिन इनके सपने विपरीत परिस्थितियों से लड़कर अपनी मंज़िल तक पहुंचने के थे। इनके पिता छोटे किसान हैं साथ ही दर्जी का काम भी करते हैं। सुलेखा की प्रारंभिक शिक्षा गांव के सरकारी स्कूल में हुई और कॉलेज की पढ़ाई राजीव गांधी महिला महाविद्यालय, भिवानी से पूरी हुई। इसके बाद सुलेखा ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र से पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
सुलेखा के घर की आर्थिक स्थिति कमज़ोर है। घर मे 4 भाई-बहन हैं. पिता की इतनी कमाई नहीं कि बिना कर्ज़ लिए सबकी पढ़ाई का खर्च उठा पाएं। सुलेखा ने अपने जीवन में वो दिन भी देखे जब कॉलेज की फीस भरने के लिए पैसे नहीं थे और न ही ऑटो का किराया दे पाना आसान था। लेकिन फिर भी सुलेखा ने आगे बढ़ने की कोशिश जारी रखी।
सुलेखा का जब भी मनोबल टूटता उनके बड़े भाई उन्हें प्रेरित करते रहे, लेकिन कोरोना के दौरान जब सुलेखा के भाई की दोनों किडनियां खराब हो गईं तब परिवार बिखर गया।मजबूरन पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद सुलेखा को दिल्ली आकर नौकरी करनी पड़ी। गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई के दौरान सुलेखा ने गीता जयंती महोत्सव में भाग लिया। जहां उनकी बनाई पेंटिंग कोब्लॉक लेवल पर पहला स्थान मिला। तब सुलेखा को ये एहसास हुआ कि उनकी कला में कुछ खास बात है। जिसके बाद उन्होंने अपनी कला को निखारने की ठानी और जिला व राज्य स्तर पर कई प्रतियोगिताएं भी जीतीं।
इसके बाद राष्ट्रपति भवन से एक दिन सुलेखा को एक फोन आया। ‘आपकी पेंटिंग देश की टॉप 15 पेंटिंग्स में शामिल की गई है और आपको राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया जा रहा है। इस कॉल को सुनने के बाद सुलेखा को विश्वास नहीं हुआ और उन्हें लगा कि कहीं ये कोई स्कैम तो नहीं! इसके बाद जबआधिकारिक निमंत्रण आया तब सुलेखा को यकीन हो गया। सुलेखा से बात करने पर उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन जाना मेरे लिए सपने के सच होने जैसा था।मैं वहां पहुंची तो चारों ओर भव्यता थी, लेकिन मेरे दिल में बीते संघर्षों की स्मृतियां थीं। वहां राष्ट्रपति जी ने मेरी कला की सराहना की। सबसे बड़ी खुशी की बात यह थी कि मेरी पेंटिंग को राष्ट्रपति भवन के एक विशेष हॉल में स्थायी रूप से प्रदर्शित किया गया।
