दिल्ली में 5 बड़े कारणों से हुई आम आदमी पार्टी की हार, जानिए क्या है कारण।

HaryanaNews24- वो 5 बड़े कारण, जिसकी वजह से दिल्ली में पिछड़ गई केजरीवाल की आप
अरविंद केजरीवाल को क्यों नहीं मिली जनता की सहानुभूति?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दोनों को सरकार में रहते हुए जेल जाना पड़ा, लेकिन दोनों की राजनीतिक परिस्थितियों में अंतर रहा। जहां झारखंड की जनता ने हेमंत सोरेन के प्रति सहानुभूति दिखाई और उनकी पार्टी ने चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया, वहीं दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के प्रति वैसी सहानुभूति नहीं देखी गई। आइए जानते हैं कि आम आदमी पार्टी की इस बड़ी हार के पीछे क्या कारण हो सकते हैं।
1. अनर्गल आरोपों और झूठ से समर्थकों की नाराजगी
अरविंद केजरीवाल पर अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि वे अपने विरोधियों पर बिना आधार के आरोप लगाते रहे हैं। इसके चलते कई बार उन्हें माफी भी मांगनी पड़ी है, जिससे उनकी छवि एक ऐसे नेता की बनती गई, जिसकी बातों पर भरोसा करना मुश्किल होता गया। सबसे बड़ा विवाद तब खड़ा हुआ जब उन्होंने हरियाणा सरकार पर जानबूझकर दिल्ली को जहरीला पानी भेजने का आरोप लगाया। उन्होंने यह तक कहा कि हरियाणा सरकार दिल्ली में नरसंहार करना चाहती है। इस आरोप पर हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने खुद दिल्ली बॉर्डर पर जाकर यमुना का पानी पीकर इस दावे को गलत साबित किया। इससे न केवल उनके विरोधियों को मौका मिला बल्कि उनके हार्डकोर समर्थक भी नाराज हो गए।
2. शीशमहल विवाद ने छवि को नुकसान पहुंचाया
राजनीति में आने से पहले अरविंद केजरीवाल ने वीवीआईपी कल्चर के खिलाफ आवाज उठाई थी और कहा था कि वे सरकारी सुविधाओं का उपयोग नहीं करेंगे। लेकिन सत्ता में आने के बाद उन्होंने न केवल सरकारी बंगले और गाड़ियों का उपयोग किया, बल्कि अपने लिए एक बेहद महंगा मुख्यमंत्री आवास भी बनवाया, जिसे मीडिया ने ‘शीशमहल’ का नाम दिया। सीएजी रिपोर्ट में भी उनके आवास पर हुए भारी खर्च पर सवाल उठाए गए। इससे उनकी सादगी वाली छवि को बड़ा झटका लगा, और जनता में उनके प्रति अविश्वास बढ़ गया।
3. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन न होना
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र चुनावों के दौरान ‘बंटे तो कटे’ का नारा दिया था, जो हिंदू एकता के संदर्भ में था। हालांकि, इस नारे से सीख लेते हुए अन्य पार्टियों ने भी अपने गठबंधन को मजबूत किया। लेकिन दिल्ली में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक साथ नहीं आ सके। हरियाणा में कांग्रेस बहुत कम मार्जिन से सरकार बनाने से चूक गई थी, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली में दोनों पार्टियां एक साथ नहीं आईं। इससे वोटों का विभाजन हुआ और बीजेपी को फायदा मिला।
4. महिलाओं के लिए 2100 रुपये योजना लागू न करना
झारखंड में झामूमो सरकार की जीत का एक प्रमुख कारण महिलाओं के लिए लागू की गई आर्थिक सहायता योजना को माना गया। दिल्ली में भी अरविंद केजरीवाल ने महिलाओं को हर महीने एक निश्चित राशि देने की योजना की घोषणा की थी, लेकिन इसे लागू नहीं कर पाए। इससे जनता में यह संदेश गया कि अगर वे इस योजना को चुनाव से पहले लागू नहीं कर सके, तो चुनाव जीतने के बाद भी इसे लागू करने में असफल हो सकते हैं । अगर यह योजना एक महीने पहले लागू कर दी गई होती, तो शायद परिणाम कुछ और हो सकते थे।
5. गंदे पानी की सप्लाई और राजधानी की गंदगी
दिल्ली सरकार ने मुफ्त सुविधाओं की शुरुआत करके जनता का समर्थन पाया था, लेकिन मूलभूत सुविधाओं की कमी से जनता परेशान हो गई थी। सबसे बड़ा मुद्दा पानी की सप्लाई का था। गर्मियों में दिल्ली में लोग साफ पानी के लिए परेशान होते रहे, और टैंकर माफिया पूरी तरह हावी हो चुका था। अरविंद केजरीवाल ने 24 घंटे स्वच्छ जल सप्लाई का वादा किया था, लेकिन यह पूरा नहीं हुआ। इसके साथ ही राजधानी की सफाई व्यवस्था भी पूरी तरह चरमरा गई थी। चूंकि एमसीडी में भी आम आदमी पार्टी की ही सरकार थी, इसलिए पार्टी के पास कोई बहाना नहीं था। इससे जनता में सरकार के प्रति नाराजगी बढ़ी।
आम आदमी पार्टी की हार के पीछे कई कारक जिम्मेदार हैं. अरविंद केजरीवाल की विश्वसनीयता पर उठते सवाल, शीशमहल विवाद, कांग्रेस से गठबंधन न होना, महिला आर्थिक सहायता योजना का लागू न होना, राजधानी की सफाई और पानी की समस्या, और खुद के मुख्यमंत्री बनने को लेकर संशय – ये सभी कारण जनता की नाराजगी के पीछे रहे। इस से यह स्पष्ट हो गया है कि केवल मुफ्त सुविधाएं देना ही काफी नहीं होता, बल्कि जनता को बुनियादी सुविधाओं की भी आवश्यकता होती है। अगर आम आदमी पार्टी भविष्य में वापसी करना चाहती है, तो उसे इन मुद्दों पर गंभीरता से काम करना होगा।