हरियाणा के इस गांव में नहीं मनाया जाता रक्षाबंधन, पवित्र रिश्ते को तरस रहे लोग!

प्रदेश और देश में 9 अगस्त, शनिवार के दिन पूरे धूमधाम से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। ये खास दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक माना जाता है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सलामती और खुशहाली की दुआ करती हैं। इस त्योहार को विभिन्न धार्मिक और ऐतिहासिक कहानियों से भी जोड़ा जाता है। लेकिन हरियाणा में एक ऐसा भी गांव है, जहां ये रक्षाबंधन का त्योहार नहीं मनाया जाता। आईये जानते हैं इसके पीछे की कहानी। कैथल जिले के सिरसल गांव में ये त्योहार लंबे समय से नहीं मनाया जाता है। गांव वालों के अनुसार सालों पहले हिंदुस्तान पर मुगलों को शासन था। जिसका नेतृत्व क्रुर मुगल शासक औरंगजेब कर रहा था। उस दौरान सिरसल गांव के आसपास के 7-8 गांव भी किसी मुसलमान शासन के अधीन थे, लेकिन मुख्य रूप से शासन औरंगजेब ही कर रहा था।
रक्षाबंधन के दिन की थी ग्रामीणों की हत्या:
ग्रामीणों ने बताया कि जिस दिन मुगलों ने ग्रामीणों की हत्या की, उस दिन रक्षाबंधन का त्योहार था। इस दुखभरी घटना के बाद गांव में मातम पसर गया। तब से आज तक इस सिरसल गांव में ये त्योहार नहीं मनाया जाता। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि केवल शांडिल्य और टुरण गोत्र के लोग ये त्योहार नहीं मनाते, क्योंकि मारे गए लोग इन्हीं गात्रों से थे। उन्होनें बता कि इस गांव बाकि सभी अन्य जातियों द्वारा यह त्योहार मनाया जाता है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि इस गांव की चली आ रही पंरपंरा को ये निभा रहे हैं। हम इस पंरपंरा को तोड़कर त्योहार नहीं मना सकते। क्योंकि इस दिन हमारे पूर्वजों हत्या की गई थी। वहीं कुछ ग्रामीणों को कहना है कि जो लोग चाहे अब मना सकते हैं, क्योंकि वो पुरानी बातें थी। उनके साथ नहीं जी-मर सकते, सभी को आगे बढ़ने का हक है।