परिवार पहचान पत्र बना परिवार पनौती पत्र: विपक्ष
बोले- खट्टर सरकार की सबसे खटारा योजना, ‘इससे शर्मनाक और क्या’..
हरियाणा में जहां एक तरफ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार परिवार पहचान पत्र (PPP) को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि बताती है. वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस लगातार परिवार पहचान पत्र को लेकर खट्टर सरकार पर हावी रहती है. वही योजना आम नागरिकों के जी का जंजाल बन चुकी है. 69.71 लाख “परिवार पहचान पत्र” बन चुके हैं लेकिन उनमे 90 प्रतिशत में गलतियां पाई गईं हैं. तीन साल बाद भी 6.67 लाख से भी अधिक लोग दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. इस गलती को दुरुस्त कराने के लिए सरकारी खजाने से 105 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन नतीजा वही निकला जो बीजेपी-जेजेपी सरकार की पहचान बन चुकी है, “नाकामयाबी.
परिवार पहचान पत्र को लेकर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है. कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने बीजेपी-जेजेपी की गठबंधन सरकार को जमकर घेरा है. हरियाणा आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष डॉ. सुशील गुप्ता ने भी खट्टर सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि PPP योजना बनी खट्टर सरकार की सबसे खटारा योजना. जिन 70 लाख परिवारों के “परिवार पहचान पत्र” बने, उनमें 63 लाख लोगों के लिए परेशानी पत्र बन गए हैं.
परिवार पहचान पत्र को लेकर हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुमारी शैलजा और किरण चौधरी ने भी बीजेपी-जेजेपी की गठबंधन सरकार पर निशाना साधा. सुरेजावाल ने पीपीपी को परेशानी का सबब बताया. वहीं कुमारी शैलजा ने इसे आम नागरिकों के जी का जंजाल बताया उन्होंने कहा कि 105 करोड़ रुपए खर्च करने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला बीजेपी-जेजेपी सरकार नाकामयाबी है. इसके अलावा किरण चौधरी ने कहा कि परिवार पहचान पत्र की 90 प्रतिशत आईडी गलत बनी हुई हैं. इतना हौसला कहां से लाते हैं?
आप नेता डॉ. सुशील गुप्ता ने आगे लिखा कि हरियाणा की बीजेपी सरकार के लिए इससे शर्मनाक ओर क्या सकता है. 90 प्रतिशत गलतियों वाली पीपीपी योजना लोगों के लिए जी-का-जंजाल बन चुकी है. तो ऐसी योजना को सरकार खत्म ही क्यों नहीं कर देती. 3 साल से लोग अपने आंखों में स्वयं के मकान का ख्वाब सजाए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं. PPP के नाम पर हरियाणा की जनता के साथ बदसलूकी एवं रिश्वतखोरी आम हो चुकी है. सरकार की इस योजना की वजह से आम नागरिक दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं.
जिस PPP को लागू कर सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है, उनमें 63 लाख से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं. सुधारीकरण की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि तीन साल बाद भी लाखों लोग कार्यालयों के चक्कर काटने पर मजबूर हैं. जनता पर थोपे गए PPP में खामियां दूर करने की प्रक्रिया सरल करे गठबंधन सरकार.