मुख्यमंत्री इस एजेंसी के माध्यम से स्वयं की कार्यप्रणाली का भी आकलन करवा रहे हैं। एजेंसी को जिला उपायुक्तों के साथ-साथ अतिरिक्त जिला उपायुक्तों की कार्यप्रणाली, उनकी पब्लिक के साथ डीलिंग तथा डीसी व एसपी ऑफिस में समस्याएं लेकर आने वाले लोगों का समाधान प्रतिशत निकालकर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है।
सीएम विंडो, परिवार पहचान पत्र और प्रोपर्टी आईडी की खामियों के दुरुस्तीकरण के प्रतिशत के बारे में विशेष रिपोर्ट तैयार हो रही है।

रिश्तेदारों से भ्रष्टाचार को दे रहे अंजाम

ठेकेदारों व अधिकारियों के संबंधों की बारीकी से पड़ताल करने को कहा गया है। ऐसे अधिकारियों की लिस्ट बनाने को भी कहा गया है, जिन पर भ्रष्टाचार में शामिल होने का नाजायज दबाव बनाया जा रहा है, जो पहले से भ्रष्टाचार में शामिल हैं। मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सात माह में लिए गए अहम फैसलों पर लोग क्या सोचते हैं, इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार हो रही है।

मुख्यमंत्री ने अपने अभी तक के कार्यकाल में करीब दो दर्जन ऐसे प्रमुख फैसले लिए हैं, जो भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र का भी हिस्सा हैं। मुख्यमंत्री के पास कुछ ऐसे मंत्रियों की भी शिकायतें पहुंची हुई हैं, जो स्वयं भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, जबकि कुछ मंत्री अपने परिवार के सदस्यों अथवा रिश्तेदारों के माध्यम से भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
ऐसे मंत्री हालांकि कुछ ही हैं। ऐसे मंत्रियों व उनके परिवार के सदस्यों की पूरी रिपोर्ट देने को कहा गया है। किसी मंत्री का भाई, किसी की पत्नी तो किसी का चाचा इस एजेंसी के माध्यम से मुख्यमंत्री के रडार पर है।

चुनाव घोषणा पत्र के वादों पर चिन्हित की जा रही प्राथमिकता

विधायकों और नगर निगमों व परिषदों के चेयरमैन के बीच तालमेल नहीं होने का प्रमुख कारण खोजने के लिए भी एजेंसी को निर्देशित किया गया है। मुख्यमंत्री यह भी जानना चाह रहे हैं कि उन्हें अपने चुनाव घोषणा पत्र में से कौन से ऐसे वादे पहले पूरे करने चाहिए, जिनका जनता को ज्यादा इंतजार और जरूरत है।

भाजपा सरकार और संगठन के नेताओं के बीच तालमेल की स्थिति पर पूरी रिपोर्ट एजेंसी से मांगी गई है। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से एजेंसी को हर जिले में कुछ विशेष अधिकारियों की लिस्ट दी गई है, जिनकी कार्यप्रणाली पर विशेष निगाह रखकर रिपोर्ट करने को कहा गया है। सर्वे एजेंसी की ओर से यह रिपोर्ट हर रोज अथवा दो दिन के अंतराल पर मुख्यमंत्री के पास सीधे भिजवाई जा रही है।

समानांतर टीम खड़ी करने वाले विधायक चिन्हित

मंत्रियों के समानांतर अपनी टीम खड़ी करने वाले विधायकों की अलग रिपोर्ट मांगी गई है। विधायकों की कार्यप्रणाली, उनके कार्यालय में बैठने तथा काम करने के तरीके के बारे में रिपोर्ट बन रही है।

मुख्यमंत्री द्वारा कराई जा रही इस आंतरिक जांच के बाद सरकार, संगठन और अफसरशाही में बड़े बदलाव की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। साथ ही इसी रिपोर्ट के आधार पर सरकार जन कल्याण के कई अहम फैसले जल्दी लेती नजर आ सकती है।