पहलगाम आतंकवादी हमले में शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को पत्नी ने दी अंतिम विदाई:

Haryana News 24: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मारे गए करनाल के भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का शव इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंच गया। विनय नरवाल के शव से लिपटकर उनकी पत्नी हिमांशी रोने लगी। इस दौरान वह कहने लगी कि आई एम प्राउड ऑफ यू। आगे कहा कि “जितने भी दिन साथ में गुजारे, वो बेस्ट थे। मैं कैसे जिऊंगी? कैसे रहूंगी?” फिर हिमांशी ने विनय को सैल्यूट करते हुए जय हिंद कहा। इस दृश्य को देख हर किसी की आंखें नम हो गई। बता दें लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और हिमांशी को 16 अप्रैल को शादी हुई थी।
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दी श्रद्धांजलि:
लेफ्टिनेंट नरवाल का पार्थिव शरीर जैसे ही इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचा, वहां मौजूद परिजन, सेना के अधिकारी और आम लोग गमगीन हो उठे। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उन्हें सलामी दी। उनके साथ वायुसेना प्रमुख और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने भी शहीद को श्रद्धांजलि दी।
बता दें 26 वर्षीय विनय नरवाल अपनी पत्नी हिमांशी के साथ पहलगाम में हनीमून मनाने गए थे, वहां पहुंचने के अगले ही दिन, 22 अप्रैल को आतंकी हमले में विनय की हत्या कर दी गई। वह हरियाणा के करनाल जिले के भुसली गांव के रहने वाले थे। उनका परिवार करनाल शहर में रहता है। पूरा मोहल्ला शादी के बाद खुशी मना रहा था, लेकिन विनय की मौत की सूचना मिलते ही पूरा माहौल गमहीन हो गया। इसके बाद उनके पिता, बहन और ससुर रात को ही कश्मीर रवाना हो गए थे।
आज शाम होगा विनय का अंतिम संस्कार:
वहां बुधवार सुबह विनय का पोस्टमॉर्टम हुआ, जिसके बाद पार्थिव देह आज इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा दिल्ली पहुंचा। विनय का अंतिम संस्कार आज शाम को ही करनाल के मॉडल टाउन स्थित श्मशान घाट में होगा, जिसमें CM नायब सैनी भी आएंगे। CM ने वीडियो कॉल पर विनय के दादा से बात करते हुए कहा कि सरकार उनके साथ खड़ी है।
देश ने एक होनहार अधिकारी को खो दिया है, जिसने कर्तव्य की राह पर प्राणों की आहुति दी। वहीं दूसरी ओर, एक पत्नी का सुखद वैवाहिक जीवन आरंभ होने से पहले ही बिखर गया। शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की शहादत ने यह एक बार फिर याद दिलाया है कि हमारी सुरक्षा के लिए कितने युवा सैनिक चुपचाप अपने सपनों की आहुति दे देते हैं। उनकी अंतिम यात्रा को देखने पहुंचे लोग न केवल गमगीन थे, बल्कि गर्व से भी भरे थे कि देश को ऐसे वीर सपूत मिले हैं।