अनोखा किसानः हर साल गौमाताओं को चरा देता है खड़ी फसल

- किसान महेंद्र सिंह 20 साल से कर रहा गौसेवा
- गायों को चराने के बाद भी खेत से लेता है अच्छी फसल
- गौभक्त की भक्ति देख रह जायेंगे हैरान!
संवाददाता हिमांशु लांबा
अकसर आपने फसल खराब करने से रोकने के लिए हाथों में डंडे लेकर किसानों को गायों और आवारा पशुओं के पीछे दौड़ते देखा होगा। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे अनोखे किसान से मिलवाने जा रहे हैं जो अपने खेतों में खड़ी, लहलहाती हरी फसल गायों का चरा देता है। जिसके कारण उसे कलयुग का कृष्ण-कन्हैया भी कहा जा रहा है।
हम बात कर रहे हैं हरियाणा प्रदेश के अटेली हल्का के गांव भोजावास निवासी किसान महेंद्र सिंह की, जिन्होंने पिछले 20 सालों में गौभक्ति की सारी हदें पार कर दी हैं। महेंद्र सिंह हर साल अपनी 3 एकड़ में खड़ी फसल 200-300 गायों को चरा देते हैं। खास बात ये है कि गौमाताओं को लहलहाती हरी फसल चराने के बाद भी उनको एक आम किसान को मिलने वाली पैदावार ही मिलती है।
किसान महेंद्र सिंह हर बार गौशाला की गौमाताओं को अपने खेतों में फसल चरने के लिए खुला छोड़ देते हैं। उनका मानना है कि हमारे पास जो भी है वो गौमाता की देन है। वो खुशकिस्मत है कि उनको लंबे अरसे से गौमाता की इस तरह से सेवा करने का मौका मिल रहा है। हालांकि देखने वालों को ये बात हजम नहीं होती क्योंकि आमतौर पर किसान अच्छी पैदावार लेने व फसलों को बर्बाद करने से रोकने के लिए गायों को खेतों से खदेड़ देते हैं।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में गौमाता को मां से भी अहम दर्जा मिला हुआ है। गौमाता को इसलिए भी सर्वश्रेष्ठ माना जाता है क्योंकि उनमें 33 कोटि देवी-देवता वास करते हैं। गौमाता के जहां भी चरण पड़ जाते हैं वो जगह स्वतः ही दोष मुक्त हो जाती है। ऐसे में जब गौमाता उनके खेत-खलिहान में चरण रखती है तो वहां के सारे कष्टों का निवारण हो जाता है, साथ ही उपज भी बढ़ती है।
महेंद्र सिंह का कहना है कि हर किसान को उनकी इस मुहिम को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि खेतों से हो रही पैदावार पर गौमाता का भी हक है। उपज का एक हिस्सा उनके लिए जरूर निकालना चाहिए। वहीं उन्होंने कहा कि किसान थोड़ी-सी ज्यादा पैदावार लेने के लिए गौमाताओं को खेतों से पीटकर, लाठी-डंडों से घायल करके खदेड़ने का काम करते हैं जोकि बिल्कुल गलत है। समाज की इसी भौंदी सोच को बदलने व किसानों को जागरूक करने के उद्देश्य से वो पिछले 20 सालों से ये मुहिम चला रहे है। ताकि गौमाताओं के हालात सुधारे जा सके और उनपर हो रहे अत्याचार रूक सकें।