बीजेपी ने किया ये खेल, 48 घंटे में नायब सैनी बने मुख्यमंत्री, चौधरी पुत्र बाहर तो दुष्यंत से तोड़ा नाता
बीजेपी ने किया ये खेल,चौधरी पुत्र बाहर तो दुष्यंत से तोड़ा नाता,
48 घंटे में नायब सैनी बने मुख्यमंत्री!
भाजपा की यह रणनीति है कि कांग्रेस, इनेलो और जजपा अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं, तो जाटों के वोट तीन जगहों पर बंट जाएंगे। दूसरी तरफ गैर जाट वोटर, जिन्हें भाजपा अपने पक्ष में मानकर चल रही है, लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उसका फायदा लेने का प्रयास करेगी…
अब महज 48 घंटे के अंदर, हरियाणा में मोदी की प्रयोगशाला का नतीजा सामने आया है। दो दिन में तीन बड़े घटनाक्रम हो गए। पहला, 10 मार्च को हुआ, जब पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार लोकसभा सीट से भाजपा सांसद ब्रजेंद्र सिंह कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए। दूसरा और तीसरा घटनाक्रम 12 मार्च को हुआ। भाजपा ने सुबह जजपा के साथ गठबंधन तोड़ दिया, तो दोपहर बाद नायब सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का एलान कर दिया। नायब सैनी, पिछड़े वर्ग से आते हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने इन तीनों घटनाक्रमों को सिलसिलेवार तरीके से अंजाम दिया है।
सबसे पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह के बेटे और हिसार लोकसभा सीट से भाजपा सांसद ब्रजेंद्र सिंह ने पार्टी को अलविदा कहा था। खास बात है कि चौ. बीरेंद्र सिंह, जिस बात को लेकर भाजपा से नाराज चल रहे थे, उनकी वह इच्छा भी पूरी हो गई। चौ. बीरेंद्र सिंह, भाजपा और जजपा गठबंधन के खिलाफ थे। उन्होंने अक्तूबर 2023 में कहा था, यदि भाजपा-जजपा गठबंधन जारी रहा, तो वे पार्टी छोड़ देंगे। 2024 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जजपा को अपने वोट नहीं मिलने वाले हैं। अगर भाजपा और जजपा का गठबंधन जारी रहा, तो बीरेंद्र सिंह नहीं रहेगा, ये बात साफ है।
अब भाजपा ने मंगलवार को जजपा से गठबंधन तोड़कर, चौ. बीरेंद्र सिंह की वह इच्छा पूरी कर दी, लेकिन टाइमिंग में इस घटनाक्रम को पीछे कर दिया। इससे दो दिन पहले सांसद ब्रजेंद्र सिंह ने भाजपा को अलविदा कह दिया था। इसके 48 घंटे बाद भाजपा और जजपा गठबंधन तोड़ने की बात सामने आ गई। हालांकि दोपहर तक इस बाबत जजपा की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया। दिल्ली में जजपा विधायकों की बैठक चल रही थी। राजनीतिक जानकारों का मानना है, तीसरा घटनाक्रम मुख्यमंत्री खट्टर को बदलना रहा है।