हरियाणा में 47 अधिकारी-कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी, क्या है वजह?
HaryanaNews24- देशभर में हरियाणा के तीन शहर सबसे प्रदूषित हैं। रोहतक देशभर में पहले, चरखी दादरी दूसरे और जींद प्रदूषण के मामले में तीसरे स्थान पर है। वीरवार को रिकॉर्ड 35 एक्टिव फायर लोकेशन (एएफएल) चिह्नित की गई। अब एएफएल के मामलों की संख्या बढ़कर 206 हो गई। निगरानी में लापरवाही मिलने पर 47 अधिकारी-कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
28 कर्मचारियों को निलंबित और 582 को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए थे। इस बार किसानों पर 3.80 लाख रुपये जुर्माना लगाया गया है। 58 किसानों पर एफआईआर और 47 किसानों की रेड एंट्री की गई है। प्रदेश के जिन 47 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस दिए गए है उनमें पलवल के 24, कैचल के 19, करनाल के 1, सिरसा के 3 अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं।

- प्रदूषण की स्थिति:
आंकड़ों के मुताबिक, रोहतक देशभर में प्रदूषण के मामले में पहले स्थान पर है, इसके बाद चरखी दादरी दूसरे और जींद तीसरे स्थान पर है। हवा की गुणवत्ता का यह गिरता स्तर मुख्य रूप से पंजाब और हरियाणा में चल रही पराली जलाने की घटनाओं और स्थानीय औद्योगिक व वाहन उत्सर्जन के कारण है।
- एक्टिव फायर लोकेशन (AFL) का डेटा:
हाल ही में 35 नई एक्टिव फायर लोकेशन्स (AFL) की पहचान की गई, जिससे कुल एएफएल मामलों की संख्या बढ़कर 206 हो गई है। हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, हाल ही में जींद में सर्वाधिक 11, हिसार और सिरसा में 4-4, फतेहाबाद, रोहतक, करनाल, सोनीपत में 3-3, कैथल में 2 और अंबाला व फरीदाबाद में 1-1 आग लगने के मामले सामने आए।

- प्रशासनिक कार्रवाई और लापरवाही:
प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सख्त रुख अपनाया है। निगरानी में लापरवाही पाए जाने पर 47 अधिकारी-कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। विभाग ने पहले भी 35 कर्मचारियों को चार्जशीट किया था।
- पराली जलाने के मामलों में गिरावट का दावा, लेकिन चुनौती बरकरार:
कृषि विभाग के अनुसार, इस बार 15 सितंबर से अब तक पराली जलाने के मामलों में पिछले वर्षों की तुलना में गिरावट आई है।
हालांकि विभाग गिरावट का दावा कर रहा है, लेकिन वर्तमान में कुल चिह्नित मामलों में से कई पराली जलाने के हैं, जो यह दर्शाता है कि चुनौती अभी भी बड़ी है। प्रशासन पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना लगाने और जागरूकता अभियान चलाने के बावजूद पूरी तरह से स्थिति पर नियंत्रण नहीं कर पाया है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही प्रदूषण के इन स्तरों पर काबू नहीं पाया गया, तो सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
