पराली जलाने पर हरियाणा में बड़ा एक्शन: 10 पुलिसकर्मी सस्पेंड
जींद, Haryana News 24: हरियाणा के जींद जिले में पराली जलाने की बढ़ती घटनाओं पर प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयासों में लापरवाही बरतने के आरोप में, जिला पुलिस अधीक्षक (SP) कुलदीप सिंह ने 10 पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई उन क्षेत्रों में पराली जलाने की घटनाओं के सामने आने के बाद की गई है, जहाँ पुलिस टीमों को किसानों को जागरूक करने और निगरानी रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
- कार्रवाई का आधार: पुलिसकर्मियों पर यह कार्रवाई उनके अधिकार क्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं को रोकने में विफल रहने और निगरानी में लापरवाही बरतने पर की गई है।
- सख्त निर्देश: जिला पुलिस प्रमुख ने स्पष्ट किया है कि पर्यावरण संरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे पर किसी भी स्तर की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
- अन्य जिलों में भी एक्शन: यह कार्रवाई केवल जींद तक सीमित नहीं है। इससे पहले, फतेहाबाद जिले में 4 पुलिसकर्मियों और हिसार में 3 नोडल अधिकारियों को भी इसी तरह के मामलों में निलंबित किया जा चुका है। सिरसा जिले में भी एक पटवारी और ग्राम सचिव के खिलाफ कार्रवाई हुई है।
- किसानों पर कार्रवाई: प्रशासन किसानों के खिलाफ भी सख्त कदम उठा रहा है। जींद में पराली जलाने के आरोप में 35 से अधिक किसानों को गिरफ्तार किया गया है, हालांकि बाद में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। हरियाणा में अब तक 192 किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
प्रशासन का संदेश:
यह निलंबन सरकार की ज़ीरो-टॉलरेंस नीति को रेखांकित करता है, जिसका उद्देश्य फसल अवशेष जलाने से होने वाले गंभीर वायु प्रदूषण को रोकना है। प्रशासन ने राजस्व, कृषि और पुलिस विभागों के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि यदि उनके क्षेत्रों में पराली जलाने की शिकायतें मिलती हैं, तो संबंधित विभागीय अधिकारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी।
जुर्माना और कानून:
पराली जलाना वायु (प्रदूषण नियंत्रण एवं रोकथाम) अधिनियम, 1981 के तहत एक दंडनीय अपराध है। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसानों पर भारी जुर्माना लगाया जाता है:
- 2 एकड़ से कम जमीन पर: ₹5,000 प्रति घटना।
- 2 से 5 एकड़ तक: ₹10,000 प्रति घटना।
- 5 एकड़ से अधिक जमीन पर: ₹30,000 प्रति घटना।
किसानों से अपील की गई है कि वे पराली न जलाएं और इसके प्रबंधन के लिए उपलब्ध आधुनिक मशीनों, जैसे सुपर सीडर और मल्चर, का उपयोग करें, या टोल फ्री नंबर 1800-180-1745 पर कृषि विभाग से सहायता लें।
