ब्रज की होली का हर अंदाज होता है निराला!
ब्रज की होली का हर अंदाज होता है निराला!
होली भारत के सबसे प्रमुख हिंदू त्योहारों में से एक है। इसे रंगों का त्योहार करते हैं, क्योंकि होली के मौके पर रंगों के साथ खेला जाता है। लोग अपने परिजनों, दोस्तों और करीबियों को रंग लगाते हैं, एक दूसरे से गले लगकर होली की शुभकामनाएं देते हैं। साथ ही लजीज पकवान खाते हैं। हालांकि पूरे भारत में होली मनाने के अलग अलग तरीके हैं। होली मनाने की परंपरा और रिवाज में भी कुछ-कुछ अंतर पाया जाता है। होली का जिक्र होता है तो सबसे पहले मथुरा बरसाना की होली याद आती है। श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा-बरसाना की होली विश्व प्रसिद्ध है, जिसमें शामिल होने के लिए विदेशों से लोग आते हैं। हालांकि यहां होली का जश्न अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। जैसे कृष्ण की नगरी में लट्ठमार होली बहुत मशहूर है। लट्ठमार, नाम से ही पता चलता है कि इसमें लाठी से मारा जाता है। अब सवाल है कि त्योहार को मारपीट कर क्यों और कैसे मनाया जा सकता है?
ऐसे हुई लट्ठमार होली की शुरुआत
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्री कृष्ण राधा जी मिलने के लिए बरसाना गांव गए, तो वह राधा जी और उनकी संग की सखियों को चिढ़ाने लगे। ऐसे में राधा जी और सखियों ने कृष्ण और ग्वालों को सबक सिखाने के लिए लाठी से पीटकर दूर करने लगीं। मान्यता है कि तभी से बरसाना और नंदगांव में लट्ठमार होली खेलने की शुरुआत हुई। कहा जाता है कि लट्ठमार होली की शुरुआत लगभग 5000 वर्ष पहले हुई थी। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण राधा जी और गोपियों संग होली खेलते थे। कृष्ण जी मथुरा से 42 किलोमीटर दूर राधा की जन्मस्थली बरसाना में आकर होली खेलते थे। तभी से लट्ठमार होली का चलन हो गया। आज भी हर साल नंदगांव से पुरुष बरसाना पहुंचते हैं, जहां उनका स्वागत बरसाना की महिलाएं लाठियों से करती हैं। महिलाएं पुरुषों पर लाठियां बरसाती हैं और पुरुष ढाल से बचने की कोशिश करते हैं। यह उत्सव बरसाना के राधा रानी मंदिर के विशाल परिसर में मनाया जाता है।
कब है लट्ठमार होली? लट्ठमार होली के उत्सव में लोग अधिक संख्या में शामिल होते हैं। इस वर्ष 18 मार्च को बरसाना और 19 मार्च को नंदगांव में लट्ठमार होली का उत्सव मनाया जाएगा। इस पर्व के दौरान महिलाएं लट्ठ से हुरियारों (पुरुषों) को बेहद मजाकिया अंदाज में पीटती हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दे कि लट्ठमार होली बरसाना और नंदगांव के लोगों के बीच खेली जाती है। लट्ठमार होली के लिए दिन फाग निमंत्रण दिया जाता है। लट्ठमार होली के साथ ब्रज की संस्कृति भी श्रद्धालुओं को झंकृत करती है। ब्रज में होली उत्सव के दौरान गीत, पद-गायन की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है।